Monday, September 10, 2012

बहुत लाई हँसी लब पर




बहुत लाई हँसी लब पर

फिर भी दिल से ग़म निकले

कि वो याद आये बहुत अब, पर

वो मेरे दिल से कब निकले



वफ़ा तो बेइन्तेहा की जब, पर

हम इश्क से बे-आबरू क्यों निकले

सुबह बहुतों के गले मिले जब, पर

रात को फिर तनहा क्यों निकले



खूब घूमे गली-बाज़ार जब, पर

प्यार लिए बगैर क्यों निकले

खूब कमाया जो पैसा जब, पर

कफ़न में जेब सिलाए बगैर क्यों निकले

No comments: