Monday, September 10, 2012

राख से मैं आज फिर नया आशियाँ बनाने चलता हूँ

जल गया सपना वो मेरा


राख वह बटोरे चलता हूँ

राख से मैं आज फिर

नया आशियाँ बनाने चलता हूँ



आंसू से अपने, राख को गोंदे

मन-भट्टी में तपा-तपाके

ईंट बनाता चलता हूँ

राख से मैं आज फिर

नया आशियाँ बनाने चलता हूँ



फिर जनेगा नए रूप में

यह सपना फिर से जीता हूँ

इस बार थोडा और बड़ा सपना

देखने की हिम्मत बटोरे चलता हूँ

राख से मैं आज फिर

नया आशियाँ बनाने चलता हूँ



जल जल मिटेगा; अश्रु पी, उठेगा

हर बार यह देखे हँसता हूँ

सपने को फिर जलने के लिए

मैं फिर तैयार लो करता हूँ

राख से मैं आज फिर

नया आशियाँ बनाने चलता हूँ



तब तलक मज़बूत इतना

सपना मेरा बन जाएगा

खुदा भी इसको देखना

फिर जला ना पायेगा

इस बार थोडा और बड़ा सपना

देखने की हिम्मत बटोरे चलता हूँ

राख से मैं आज फिर

नया आशियाँ बनाने चलता हूँ



जलने से निर्भीत ऐसा

ज्वलंत सपना मैं रचने चलता हूँ

साकार जो हो, वह मेरा सपना

श्रेय तुझे देने का सपना देखे मैं चलता हूँ

राख से मैं आज फिर

नया आशियाँ बनाने चलता हूँ

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