ये मय का शीशा जो आज यु पाश-पाश है
जाम भी तो कोई नहीं आस-पास है
हां, जानता हूँ मै दोस्ती के काबिल नहीं
दुश्मन भी क्यों नहीं आस पास है?
बहुत तनहा हूँ आज,ऐसे कैसे जिया जाए?
अब हँसी कि आस नहीं, कोई आंसू तो पिला जाए
माना कि मै बेहद बेपाक हूँ
कोई आके एक घडी बैठ, दो गाली तो सुना जाए
अँधेरे में मै, न जाने किसे ढूँढता हूँ
सुख न सही, कोई आके दुःख तो पिला जाए
ऐसी भी क्या खता हुई मुझसे
कि जिन्हें याद किया,वो आज याद भी न आये
गर्द बनी ज़िन्दगी से अब क्या माँगा जाए
हसने का नहीं तो रोने का ख्वाब ही देखा जाए
इतना बदनसीब मैं कैसे हूँ आज
आँख से दो आंसू भी निकाला नहीं जाए
मय: शराब
पाश-पाश : चूर चूर
गर्द: Dust
जाम भी तो कोई नहीं आस-पास है
हां, जानता हूँ मै दोस्ती के काबिल नहीं
दुश्मन भी क्यों नहीं आस पास है?
बहुत तनहा हूँ आज,ऐसे कैसे जिया जाए?
अब हँसी कि आस नहीं, कोई आंसू तो पिला जाए
माना कि मै बेहद बेपाक हूँ
कोई आके एक घडी बैठ, दो गाली तो सुना जाए
अँधेरे में मै, न जाने किसे ढूँढता हूँ
सुख न सही, कोई आके दुःख तो पिला जाए
ऐसी भी क्या खता हुई मुझसे
कि जिन्हें याद किया,वो आज याद भी न आये
गर्द बनी ज़िन्दगी से अब क्या माँगा जाए
हसने का नहीं तो रोने का ख्वाब ही देखा जाए
इतना बदनसीब मैं कैसे हूँ आज
आँख से दो आंसू भी निकाला नहीं जाए
मय: शराब
पाश-पाश : चूर चूर
गर्द: Dust
No comments:
Post a Comment