1.हिन्दू जना नहीं करते, हिन्दू बना करते हैं
मानने से हिन्दू नहीं बनते, जानने से हिन्दू बनते हैं
मैं मानता नहीं मैं हिन्दू जना था, मैं जानता हूँ मैं हिन्दू बना हूँ
मैं हिन्दू कहलाता हूँ
ज्योति प्रखर वह अंतरतम में
तम नित्य जलाये जाता हूँ
पड़ोसियों के घर में चिंगारी
इसलिए डाल न पाता हूँ
अँधियारे में जलता हूँ मै
अन्धकार से लड़ता हूँ
कोई माने या ना माने
मैं हिन्दू कहलाता हूँ
लूटने वाले आये थे सब
कोहिनूर ही लूट गए
कुछ और ना दिखा राही तुमको?
तुम्हारी दृष्टिहीनता पर मैं रोता हूँ
दाता हूँ मैं, जग में अब तक
मैं संस्कार लुटाता हूँ
कोई माने या ना माने
मैं हिन्दू कहलाता हूँ
वसुंधरा को 'माँ' मैं कह कर
'वसुदैव कुटुंब' कह पाता हूँ
अश्रु स्वेद औ रक्त सिक्त हूँ
पर क्षमा की बात मैं कर पाता हूँ
हिन्दू हूँ मैं, हिन्दू हूँ मैं,
कर्म से यह कहता जाता हूँ
कोई माने या ना माने
मैं हिन्दू कहलाता हूँ
विष को पीकर, अमृत दे कर
नीलकंठ बन जाता हूँ
अग्नि में जलकर, राख मैं बनकर
भस्म रूप जो पाता हूँ
महाकाल के मस्तक पर मैं
सृष्टि गीत लिख पाता हूँ
कोई माने या ना माने
मैं हिन्दू कहलाता हूँ
मानने से हिन्दू नहीं बनते, जानने से हिन्दू बनते हैं
मैं मानता नहीं मैं हिन्दू जना था, मैं जानता हूँ मैं हिन्दू बना हूँ
मैं हिन्दू कहलाता हूँ
ज्योति प्रखर वह अंतरतम में
तम नित्य जलाये जाता हूँ
पड़ोसियों के घर में चिंगारी
इसलिए डाल न पाता हूँ
अँधियारे में जलता हूँ मै
अन्धकार से लड़ता हूँ
कोई माने या ना माने
मैं हिन्दू कहलाता हूँ
लूटने वाले आये थे सब
कोहिनूर ही लूट गए
कुछ और ना दिखा राही तुमको?
तुम्हारी दृष्टिहीनता पर मैं रोता हूँ
दाता हूँ मैं, जग में अब तक
मैं संस्कार लुटाता हूँ
कोई माने या ना माने
मैं हिन्दू कहलाता हूँ
वसुंधरा को 'माँ' मैं कह कर
'वसुदैव कुटुंब' कह पाता हूँ
अश्रु स्वेद औ रक्त सिक्त हूँ
पर क्षमा की बात मैं कर पाता हूँ
हिन्दू हूँ मैं, हिन्दू हूँ मैं,
कर्म से यह कहता जाता हूँ
कोई माने या ना माने
मैं हिन्दू कहलाता हूँ
विष को पीकर, अमृत दे कर
नीलकंठ बन जाता हूँ
अग्नि में जलकर, राख मैं बनकर
भस्म रूप जो पाता हूँ
महाकाल के मस्तक पर मैं
सृष्टि गीत लिख पाता हूँ
कोई माने या ना माने
मैं हिन्दू कहलाता हूँ
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