ये जो अलफ़ाज़1 यु बहते है कलम से 1 शब्द
तो हैरत होती है
न जाने कौन भेजता है ये पैगाम
पर इनसे मोहोब्बत होती है
ये जो ग़ज़ले यु बहती है दिल से
तो हैरत होती है
न जाने किसका अशफाक2 है ये 2 आशीर्वाद
पर इनसे मोहोब्बत होती है
ग़म-ए-शाम यु शराब बिन कटती है
तो हैरत होती है
की जो रूह-ए-कलम से पिलाता है वो
अब उससे मोहोब्बत होती है
तो हैरत होती है
न जाने कौन भेजता है ये पैगाम
पर इनसे मोहोब्बत होती है
ये जो ग़ज़ले यु बहती है दिल से
तो हैरत होती है
न जाने किसका अशफाक2 है ये 2 आशीर्वाद
पर इनसे मोहोब्बत होती है
ग़म-ए-शाम यु शराब बिन कटती है
तो हैरत होती है
की जो रूह-ए-कलम से पिलाता है वो
अब उससे मोहोब्बत होती है
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