ಗೊಂಚಲು.......
Monday, October 8, 2012
इज़हार-ए-इश्क
इतनी गहरी उतरती है नज़र तेरी
कुछ छुपाने का जी नहीं करता
आज तुम हमारी आँखों में देख लो
इज़हार-ए-इश्क अलफ़ाज़ से नहीं होता
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