मेरे पिताजी के बरसी के चंद दिन पहले लिखा हुआ गीत।
एक बरस बीत चला
एक बरस बीत चला
मीत का प्रीत जो छूटा
प्रीत का आस जो रूठा
अश्रु घट अंतर का भी अब रीत चला
एक बरस बीत चला
एक बरस बीत चला
आँख ये अश्रु में भीगे
पुतले बिना ये धागे
यादों में ह्रदय मेरा अब पसीज चला
एक बरस बीत चला
एक बरस बीत चला
कट रहे है रात दिन
न चैन......नींद बिन
हर घड़ी उसको ही दिल मेरा ढूँढ चला
एक बरस बीत चला
एक बरस बीत चला
अश्रु में भी वो बसा
यादों में भी है वो सजा
यूँ तो हर दम ही क्या वो मेरे साथ चला
एक बरस बीत चला
एक बरस बीत चला
रीत चला: खाली हो चला
पसीज: पिघल
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एक बरस बीत चला
एक बरस बीत चला
मीत का प्रीत जो छूटा
प्रीत का आस जो रूठा
अश्रु घट अंतर का भी अब रीत चला
एक बरस बीत चला
एक बरस बीत चला
आँख ये अश्रु में भीगे
पुतले बिना ये धागे
यादों में ह्रदय मेरा अब पसीज चला
एक बरस बीत चला
एक बरस बीत चला
कट रहे है रात दिन
न चैन......नींद बिन
हर घड़ी उसको ही दिल मेरा ढूँढ चला
एक बरस बीत चला
एक बरस बीत चला
अश्रु में भी वो बसा
यादों में भी है वो सजा
यूँ तो हर दम ही क्या वो मेरे साथ चला
एक बरस बीत चला
एक बरस बीत चला
रीत चला: खाली हो चला
पसीज: पिघल
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